महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे भगवान शिव की आराधना के लिए मनाया जाता है। यह पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च के महीने में आती है। इस दिन शिवभक्त रात्रि जागरण, उपवास और महामृत्युंजय मंत्र तथा ‘ॐ नमः शिवाय’ के जाप से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
महाशिवरात्रि कब है 2025?
महाशिवरात्रि का व्रत इस बार बुधवार 26 फरवरी को रखा जाएगा। दरअसल, 25 फरवरी की मध्यरात्रि ही फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ हो जाएगा।
महाशिवरात्रि की पूजा विधि:
महाशिवरात्रि, भगवान शिव का प्रमुख पर्व है, जिसे श्रद्धालु भक्त बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। इस दिन शिवजी की पूजा विशेष रूप से रात्रि में की जाती है, क्योंकि यह रात्रि शिवतत्त्व को प्राप्त करने और आत्मशुद्धि के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।
महाशिवरात्रि पूजन विधि
- संकल्प और व्रत आरंभ
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव की आराधना का संकल्प लें।
- व्रत रखने वाले श्रद्धालु पूरे दिन उपवास करें और फलाहार या दूध का सेवन कर सकते हैं।
- मंदिर या घर पर पूजा स्थल का निर्माण
- भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को गंगाजल से शुद्ध करें।
- पूजा स्थान को स्वच्छ और पवित्र करें एवं आसन बिछाएं।
- अभिषेक एवं शिवलिंग का स्नान
शिवलिंग का अभिषेक महाशिवरात्रि की पूजा का प्रमुख भाग है। इसे अलग-अलग पवित्र पदार्थों से स्नान कराया जाता है:
- गंगाजल एवं दूध – जीवन में पवित्रता और शांति लाने के लिए।
- दही – संतुलन और समृद्धि के लिए।
- शहद एवं घी – सुख-समृद्धि एवं आरोग्य के लिए।
- चंदन एवं गुलाबजल – शिवजी को शीतलता प्रदान करने के लिए।
- पंचोपचार एवं षोडशोपचार पूजा
- भगवान शिव को अक्षत (चावल), पुष्प, बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद चंदन और रुद्राक्ष अर्पित करें।
- धूप-दीप जलाकर उनकी आरती करें।
- बेलपत्र चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
- रात्रि जागरण एवं मंत्र जाप
- महाशिवरात्रि की रात को चार प्रहरों में विभाजित किया जाता है और हर प्रहर में शिवजी की पूजा की जाती है।
- शिव पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।
- शिवपुराण, रुद्राष्टक, शिव तांडव स्तोत्र और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।
- प्रसाद वितरण और भोग
- शिवजी को भांग, धतूरा, सफेद मिठाइयाँ और फल का भोग लगाएँ।
- पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें और अन्य भक्तों में बाँटें।
- रात्रि जागरण और शिव विवाह कथा
- इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का विशेष महत्व होता है।
- शिव विवाह की कथा सुनने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- व्रत पारण
- अगले दिन प्रातः स्नान कर शिवजी को जल अर्पित करें और व्रत का पारण करें।
- जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।
महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व:
महाशिवरात्रि केवल एक व्रत या पूजा का दिन नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और शिवतत्त्व से जुड़ने का शुभ अवसर है। इस दिन की गई उपासना भक्तों के कष्टों का नाश करती है और जीवन में सुख-समृद्धि लाती है।
“ॐ नमः शिवाय!” 🙏✨
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
महाशिवरात्रि का पर्व कई धार्मिक और पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। प्रमुख रूप से इसके पीछे निम्नलिखित मान्यताएँ प्रचलित हैं:
- भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह – ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इसीलिए इसे शिव-शक्ति के मिलन का पावन दिन माना जाता है।
- सृष्टि का आरंभ – कुछ मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था, जिससे सृष्टि की रचना, पालन और संहार का चक्र आरंभ हुआ।
- निलकंठ की कथा – समुद्र मंथन के समय जब हलाहल विष निकला था, तब भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया था, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और वे ‘नीलकंठ’ कहलाए। इस दिन शिव की आराधना से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
महाशिवरात्रि का महत्व:
महाशिवरात्रि केवल एक पर्व ही नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागरण का अवसर भी है। इस दिन शिवभक्त गंगा जल, बेलपत्र, धतूरा, भांग और शहद से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। उपवास और रात्रि जागरण का विशेष महत्व होता है, जिससे साधक को आत्मबल, संयम और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि के लाभ एवं विशेषताएँ:
- भगवान शिव की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है।
- इस दिन किए गए व्रत और मंत्र जाप से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- शिवरात्रि की रात जागरण करने से मनुष्य की आध्यात्मिक चेतना जाग्रत होती है।
- भगवान शिव की कृपा से असाध्य रोगों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कैसे मनाएं महाशिवरात्रि?
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें।
- पूरे दिन उपवास रखें और ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें।
- रात्रि जागरण कर शिव पुराण, भजन-कीर्तन और ध्यान करें।
- दान-पुण्य करें और जरूरतमंदों की सहायता करें।
महाशिवरात्रि केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण और आत्मशुद्धि का अवसर है। यह पर्व हमें सिखाता है कि भक्ति, ध्यान और संयम से जीवन के हर संकट को दूर किया जा सकता है। भगवान शिव की कृपा से हर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता, शांति और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। इस महाशिवरात्रि पर हम सभी शिव भक्ति में लीन होकर उनकी कृपा प्राप्त करें।
“हर-हर महादेव!” 🚩